Wednesday 29 June 2016

ई-सिगरेट क्या है जानिए [हिंदी में]

ई-सिगरेट यानि के electronic cigarette (e-cig or e-cigarette) एक तरह से पारम्परिक सिगरेट cigarette का ही सुधरा हुआ या यूँ कहें उन्नत किस्म का रूप  है जो कि यह दिखाता है तकनीक ने हर क्षेत्र में किस तरह से विकास  किया है | कुछ भी ऐसा नहीं है जो बढती तकनीक से अछूता हो | कुछ मायनो में यह सही भी है और कुछ मायनो में यह अवन्नती को भी दिखता है कि किस तरह हम तकनीक का इस्तेमाल हर तरह के अच्छे और बुरे किस्म के काम के लिए करते है और आज के जमाने में किसी भी चीज़ के लिए मार्केट खड़ा करना कोई नयी बात नहीं है अगर उसमे तकनीक का छौंक लगा दिया जाये तो |

क्या है  ई-सिगरेट (electronic cigarette) – यह पारम्परिक सिगरेट की तरह ही एक सिगरेट होती है जो एक छोटी बेटरी से चलती है जो इसके अंदर ही लगी होती है | इसमें से कश लेने से भाप निकलती है जिसमे निकोटीन मिला होता है हालाँकि यह पारम्परिक सिगरट के मुकाबले कम नुकसान करती है इसमें liquid solution भरा होता है जो इसमें लगे Heating element से गर्म होकर भाप में बदलता है | इसमें मौजूद Liquid में propylene glycol, glycerin, nicotine, जैसे रसायन होते है और flavor के लिए कुछ flavorings रसायन भी होते है | यह कई प्रकार की आती है कुछ बिना निकोटीन के होती है जो नुक्सान नहीं करती और कुछ कम मात्रा वाले निकोटीन के साथ होती है जो शरीर को नुकसान भी पहुंचाती है |

नवयुवकों में बढ़ रही ई-सिगरेट (electronic cigarette) की लत – BMC public Health ने छपे एक आर्टिकल की बात करें तो यह खुलासा हुआ है कि ब्रिटेन के किशोरों में ई-सिगरेट (electronic cigarette) की लत लगातार बढ़ रही है और जो दलीले ई-सिगरेट (electronic cigarette) के नुकसान देह नहीं होने को लेकर की जाती है वो सारी मटियामेट होती दिख रही है क्योंकि Experts के अनुसार ‘ अगर मान भी लें कि ई-सिगरेट (electronic cigarette) पारम्परिक सिगरेट के मुकाबले कम नुकसान वाली होती है तो क्या होगा अगर ई-सिगरेट (electronic cigarette) लेने वाला इन्सान दिन में कई गुना अधिक बार पीना शुरू करदे ” बात तो बराबर ही है |

रिपोर्ट के अनुसार जिन किशोरों ने कभी सिगरेट का एक भी कश नहीं लिया था वो भी अब ई सिगरेट का प्रयोग करते है इसलिए हम कह सकते है चाहे थोडा हो या ज्यादा नुकसान तो सेहत का नुकसान ही होता है फिर थोड़े से पलों के आनंद के लिए एक दीघकालीन बीमारी को न्योता देना बिलकुल सही है है | भारत में निकोटीन के प्रभाव से होने वाले कैंसर से मारे जाने वाले लोगो की संख्या 9 लाख प्रतिवर्ष से भी अधिक है और आने वाले सालों में अगर तम्बाकू products पर रोक नहीं लगी तो यह संख्या दुगुनी हो जाने की सम्भावना है ऐसा आंकड़े कहते है |

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