Tuesday, 18 April 2017

इंदौर के 'शायर' राहत इंदौरी के मशहूर शेर

आज मैं सभी के सबसे पसंदीदा शायर राहत इन्दौरी साहब की कुछ अशआर पेश करना चाहूंगा। उससे पहले मैं आपको इस अज़ीम शख्सियत से थोड़ा रूबरू करवा देता हूँ, जिन्होंने आज भी खुद को मिट्टी से जोड़े रखा है। शायद उनका मिट्टी से जुड़ाव ही एक वजह है कि उनकी शायरी में मिट्टी की सौंधी खुशबू महकती रहती है। वो लिखते हैं कि "गाय के कच्चे दूध के जैसे सादा हम और हमारे नीले-नीले रिश्तेदार।"

इंदौर में 1 जनवरी 1950 में एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे राहत ने अपनी शुरूआती पढ़ाई इंदौर के नूतन स्कूल से की। फिर उन्होंने इस्लामिया कॉलेज इंदौर और बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल से उर्दू साहित्य में पढ़ाई की। इसके बाद साल 1975 में उन्होंने मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पीएचडी की उपाधि हासिल की।

इंदौर के इंद्रकुमार कॉलेज में उर्दू साहित्य पढ़ाने से अपने करियर की शुरुआत करने वाले राहत, पढ़ाने के साथ-साथ मुशायरों में भी शामिल होने लगे और बड़े ही कम समय में वो इन मुशायरों की जान बन गए। धीरे-धीरे फिल्मों के गीतों में भी राहत के लफ़्ज़ों को जगह मिलने लगी। आसान लफ़्ज़ों में गहरी बातें कह जाने वाले राहत आज भी उर्दू साहित्य के चहेते शायर हैं। राहत की शायरी में आपको ज़िन्दगी का हर रंग देखने को मिल जाएगा।









Collection of Rahat Indori Shayari and Ghazals (राहत इन्दौरी की शायरी और ग़ज़लों का संग्रह)

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