Call drop के बारे में हम आजकल अख़बारों में सुनते है बड़ी बहस चल रही है और कंपनिया और TRAI यानि के Telecom Regulatory Authority of India और मोबाइल ओपरेटर कम्पनियां इस मामले में आजकल कोर्ट में है क्योंकि TRAI चाहती है कि अगर कॉल ड्राप की समस्या होती है तो कम्पनियों पर उस एवज में जुर्माना लगाया जाना चाहिए जबकि कंपनियों का दावा है कि कॉल ड्राप की समस्या जो है वो निर्धारित मानक से अधिक नहीं है ऐसे में हम जुर्माना नहीं देंगे तो चलिए जानते है कि आखिर ये कॉल ड्राप की समस्या क्या है और इस से हमारी जिदंगी पर पड़ने वाला कौनसा प्रभाव है
What is Call drop / कॉल ड्राप है क्या – पहले हम इसे simple भाषा में समझते है और ऐसे में जब आप किसी को कॉल करते है या कोई आपको कॉल करता है तो दोनों लोगो के बात करते हुए बीच में अचानक नेटवर्क में दिक्कत की वजह से फ़ोन कट जाता है और फिर आप दोबारा कॉल करते है तब जाकर आपकी बात पूरी हो पाती है और कभी कभी यह एक से अधिक बार हो सकता है | ऐसे में हम कह सकते है कि दोनों पार्टीज जो फ़ोन पर आपस में बात कर रही है उनके फ़ोन काटे बिना ही अपने आप नेटवर्क में दिक्कत की वजह से अगर फ़ोन कट जाता है तो उसे कॉल ड्राप (call drop) कहा जाता है |
क्यों होता है ऐसा है – ऐसा इसलिए होता है क्योंकि असल में कंपनियां केवल उन्ही इलाकों में अपने नेटवर्क को लेकर सजग रहती है जिन इलाकों से उसे अधिक आय होती है ऐसे में कई बार ऐसे होता है कि किसी इलाके विशेष में जब टावर से जुड़े रहने वाले मोबाइल कनेक्शन की संख्या उसके बैंडविड्थ से अधिक हो जाती है तो कारणों की वजह से मोबाइल के द्वारा की जाने वाले कॉल्स बार बार नेटवर्क में कंजेशन की वजह से कट हो जाते है ऐसा इसलिए होता है कि किसी भी मोबाइल टावर पर जुड़े रहने के मोबाइल की संख्या सीमित होती है क्योंकि वो टावर की बैंडविड्थ का निश्चित मात्रा में उपयोग करते है और ऐसे में जब टावर के पास जितनी बैंडविड्थ होती है उस से अधिक इस्तेमाल होने लगती है तब दूसरे मोबाइल्स के लिए बैंडविड्थ कम पड़ती है जिसकी वजह से फ़ोन बीच में अपने आप कट जाता है | इसे ही Call drop कहते है |
क्या फर्क पड़ता है हमारी जिन्दगी पर – हमारी जिन्दगी में call drop की वजह जो मुख्य नुकसान होते है वो है समय और पैसे की बर्बादी क्योंकि अगर कॉल ड्राप होता है उसमे हमारी कोई गलती नहीं होती है और टावर के रखरखाव और उसकी क्षमता के लिए मोबाइल ओपरेटर जिम्मेदार होता है जबकि कम्पनी या ऑपरेटर हमसे हमारे द्वारा की जाने वाली कॉल के पूरे पैसे वसूलता है –
उदाहरण के लिए –
“अगर आप कॉल करते है और आपका ऑपरेटर जो है वो आपको 60 पैसे प्रति मिनट के हिसाब से पैसे वसूलता है ऐसे में अगर आपकी कॉल 30 सेकंड या एक मिनट होने से पहले ही कट जाती है तो आपको उस मिनट के पूरे पैसे देने होंगे बशर्ते यह आपके साथ कितनी ही बार हुआ हो |”
तो इस तरह आपको पैसे और समय दोनों का नुकसान झेलना पड़ता है इसी वजह से TRAI ने एक मसौदे के जरिये यह भी प्रस्तावित किया था कि अगर मोबाइल कंपनियां कॉल ड्राप की दर को कम नहीं कर पाती है तो उन्हें हर उपभोक्ता को प्रति कॉल ड्राप एक रूपये रिफंड देना होगा और यह अधिकतम तीन रूपये हो सकता है | लेकिन यह मसला अभी कोर्ट में लंबित है |
TRAI का इस पर पक्ष ये है कि “ मोबाइल कंपनीज ने उपभोक्ताओं की संख्या को देखते हुए टावर नहीं लगाये है जिसकी वजह उपभोक्ता को बड़ा नुकसान होता है जबकि मोबाइल कंपनीज होने वाली आमदनी की तुलना में अपने सेवा स्तर को सुधारने के लिए निवेश बहुत कम कर रही है |”
वन्ही कंपनीज का कहना है कि “ अगर उन्हें मुआवजा देना पड़ेगा तो ऐसे में उन्हें बहुत बड़ा व्यापारिक घाटा होगा जबकि कई ऐसे तकनीकी कारण है जिनकी वजह से मुआवजा देना संभव नही है और साथ ही TRAI का फैसला मनमाना है और उसे कानून बनाने का कोई अधिकार भी नहीं है |”
What is Call drop / कॉल ड्राप है क्या – पहले हम इसे simple भाषा में समझते है और ऐसे में जब आप किसी को कॉल करते है या कोई आपको कॉल करता है तो दोनों लोगो के बात करते हुए बीच में अचानक नेटवर्क में दिक्कत की वजह से फ़ोन कट जाता है और फिर आप दोबारा कॉल करते है तब जाकर आपकी बात पूरी हो पाती है और कभी कभी यह एक से अधिक बार हो सकता है | ऐसे में हम कह सकते है कि दोनों पार्टीज जो फ़ोन पर आपस में बात कर रही है उनके फ़ोन काटे बिना ही अपने आप नेटवर्क में दिक्कत की वजह से अगर फ़ोन कट जाता है तो उसे कॉल ड्राप (call drop) कहा जाता है |
क्यों होता है ऐसा है – ऐसा इसलिए होता है क्योंकि असल में कंपनियां केवल उन्ही इलाकों में अपने नेटवर्क को लेकर सजग रहती है जिन इलाकों से उसे अधिक आय होती है ऐसे में कई बार ऐसे होता है कि किसी इलाके विशेष में जब टावर से जुड़े रहने वाले मोबाइल कनेक्शन की संख्या उसके बैंडविड्थ से अधिक हो जाती है तो कारणों की वजह से मोबाइल के द्वारा की जाने वाले कॉल्स बार बार नेटवर्क में कंजेशन की वजह से कट हो जाते है ऐसा इसलिए होता है कि किसी भी मोबाइल टावर पर जुड़े रहने के मोबाइल की संख्या सीमित होती है क्योंकि वो टावर की बैंडविड्थ का निश्चित मात्रा में उपयोग करते है और ऐसे में जब टावर के पास जितनी बैंडविड्थ होती है उस से अधिक इस्तेमाल होने लगती है तब दूसरे मोबाइल्स के लिए बैंडविड्थ कम पड़ती है जिसकी वजह से फ़ोन बीच में अपने आप कट जाता है | इसे ही Call drop कहते है |
क्या फर्क पड़ता है हमारी जिन्दगी पर – हमारी जिन्दगी में call drop की वजह जो मुख्य नुकसान होते है वो है समय और पैसे की बर्बादी क्योंकि अगर कॉल ड्राप होता है उसमे हमारी कोई गलती नहीं होती है और टावर के रखरखाव और उसकी क्षमता के लिए मोबाइल ओपरेटर जिम्मेदार होता है जबकि कम्पनी या ऑपरेटर हमसे हमारे द्वारा की जाने वाली कॉल के पूरे पैसे वसूलता है –
उदाहरण के लिए –
“अगर आप कॉल करते है और आपका ऑपरेटर जो है वो आपको 60 पैसे प्रति मिनट के हिसाब से पैसे वसूलता है ऐसे में अगर आपकी कॉल 30 सेकंड या एक मिनट होने से पहले ही कट जाती है तो आपको उस मिनट के पूरे पैसे देने होंगे बशर्ते यह आपके साथ कितनी ही बार हुआ हो |”
तो इस तरह आपको पैसे और समय दोनों का नुकसान झेलना पड़ता है इसी वजह से TRAI ने एक मसौदे के जरिये यह भी प्रस्तावित किया था कि अगर मोबाइल कंपनियां कॉल ड्राप की दर को कम नहीं कर पाती है तो उन्हें हर उपभोक्ता को प्रति कॉल ड्राप एक रूपये रिफंड देना होगा और यह अधिकतम तीन रूपये हो सकता है | लेकिन यह मसला अभी कोर्ट में लंबित है |
TRAI का इस पर पक्ष ये है कि “ मोबाइल कंपनीज ने उपभोक्ताओं की संख्या को देखते हुए टावर नहीं लगाये है जिसकी वजह उपभोक्ता को बड़ा नुकसान होता है जबकि मोबाइल कंपनीज होने वाली आमदनी की तुलना में अपने सेवा स्तर को सुधारने के लिए निवेश बहुत कम कर रही है |”
वन्ही कंपनीज का कहना है कि “ अगर उन्हें मुआवजा देना पड़ेगा तो ऐसे में उन्हें बहुत बड़ा व्यापारिक घाटा होगा जबकि कई ऐसे तकनीकी कारण है जिनकी वजह से मुआवजा देना संभव नही है और साथ ही TRAI का फैसला मनमाना है और उसे कानून बनाने का कोई अधिकार भी नहीं है |”
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